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रोजगार

भारत में उपलब्ध नौकरियों की तुलना में अधिक लोग बन रहे श्रमबल का हिस्सा

इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले दस सालों में भारत दुनिया की तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था वाला देश बन गया है। केवल आर्थिक मोर्चे पर ही नहीं,…
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सत्तर रुपये प्रतिदिन की मजदूरी में ‘सफाईकर्मी’ भी बन जाते हैं रसोइया

लखनऊ। रसोइया कहने के लिए तो सरकारी विद्यालय में काम करती हैं किंतु उनका मानदेय दैनिक मजदूरी से भी काफी कम होता है। परिषदीय विद्यालयों में…
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बकरी पालन से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं

गांव की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने व गरीबों की आजीविका को सुदृढ़ करने के लिए सरकार से लेकर कई गैर-सरकारी संगठन विभिन्न योजनाएं चला रही हैं।…
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आये दिन पेपर होते हैं लीक, तो फिर सरकार किन लाखों लोगों को दे रही है नौकरियाँ

भारत में बेरोजगारी एक गंभीर मुद्दा है, जो देश की आधी से अधिक जनता को परेशान करती है। उन्हें दो तरह के दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। पहला दुख,…
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यूज़ एंड थ्रो के दौर में बहुत कम हो गए चाकू-कैंची पर धार लगानेवाले

वाराणसी। ‘चाकू-कैंची धार करा लो..चाकू कैंची धार करा लो’ की आवाज पिछले 2-3 मिनट से लगातार आ रही थी। उसकी पुकार में एक अद्भुत लय थी, सुनकर…
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काशी में चिता की राख से ज़िंदगी का राग ढूँढने वाला समुदाय

वाराणसी। जिले के मणिकर्णिका घाट पर कुछ दूर चलने के बाद शवदाह स्थल के पास पहुंचकर मैं रुक गया। वहाँ पर मैंने चार-पाँच की संख्या में लोगों को…
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बदलती फ़िज़ा से चिनाब घाटी में बढ़ेगा पर्यटन

डोडा (जम्मू)। जम्मू और कश्मीर का खूबसूरत क्षेत्र अपने आश्चर्यजनक प्राकृतिक दृश्यों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए पहले से ही जाना जाता…
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दम तोड़ रहा है पूर्वांचल का हथकरघा कारोबार, कला के कारीगर मजदूरी करने को मजबूर

यह रिपोर्ट बनारस की समाजशास्त्री डॉ. मुनीज़ा रफ़ीक़ ख़ान के साथ बनारस के अनेक बुद्धिजीवियों द्वारा लॉकडाउन के बाद पूर्वांचल में किए गए एक…
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जीविका से गरीब महिलाओं को मिल रही आजीविका

मुजफ्फरपुर (बिहार)। तमाम सरकारी और गैर सरकारी प्रयासों के बाद भी अपना देश निर्धनता के दंश से अभी तक नहीं उबर पाया है। गरीबी उन्मूलन जैसे…
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लकड़ी की कारीगरी का नया अंदाज़ है जोगई

पिछली कुछ रिपोर्टों में मैंने बनारस के कश्मीरीगंज और लल्लापुरा के ऐसे दस्तकारों के बारे में बताया था जो भारत की पतनशील अर्थव्यवस्था के सबसे…
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पेंटागन के बिल्ले यहीं शिवाले में बनते हैं

शिवाले की गली में घुसते ही एक पुरानी, सीलन भरी और पुराने सामानों से अंटी पड़ी कोठरी में दो कारचोब पर दो लोग झुके हुए बिल्ले पर कढ़ाई कर रहे…
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अर्थव्यवस्था के कुठाराघात ने बनारस में खिलौना बनानेवालों को तबाही के कगार पर ला खड़ा किया है

बनारस अपनी अनेक चीजों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहाँ की गलियाँ, गालियाँ, मिठाई, घाट, पंडे, पान, विश्वविद्यालय और भौकाल सबकुछ दूर-दूर…
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खिलौना रंगने वाली औरत की साठ रुपये रोज पर कैसे गुजर होती होगी?

बनारस के मुहल्लों में काम कर रहे श्रमिकों का कठिन जीवन - पहली किश्त  एक  छत पर पहुँचते ही रंग की तेज गंध नाक में घुसी। वहाँ तीन महिलाएँ और…
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बनारसी साड़ी के कारोबार का एक साहित्यिक आकलन

 बनारसी साड़ी का कारोबार कहते हैं कि बर्बाद हो चुका है। इस बर्बादी के बहुत से किस्से हैं और अनेक तो बहुत भयानक हैं। हाथ से बुनाई का युग…
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भविष्य के अंदेशों के बीच बम्बइया मिठाई

बहुत दिनों के बाद आज अचानक कालोनी में डमरू की आवाज सुनाई दी। तुरंत बाद गाने की आवाज आई ... छोटे-बड़े-बच्चों का ध्यान किधर है, बम्बइया मिठाई…
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छत्तीसगढ़ के बसोड़ जिनकी कला के आधे-अधूरे संरक्षण ने नई पीढ़ी की दिलचस्पी खत्म कर दी है

छत्तीसगढ़ में बांस की कलाकारी करनेवाले बड़े से बड़े लोक कलाकार और दस्तकार की तकलीफ यह है कि उसके बच्चे इस कला के प्रति उदासीन होते जा रहे हैं।…
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योगी का ठाकुरवाद ब्राम्हणवाद की ओट भर है

2020 के चुनाव का क्रमिक विश्लेषण - भाग 2  योगी आदित्यनाथ पर ठाकुरों को तरजीह देने का आरोप लगाया जाता रहा है और यह दावा किया गया था कि…
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अशोका इंस्टीट्यूट के 85 छात्रों ने लाखों के पैकेज पर पाई नौकरियां

वाराणसी के अशोका इंस्टीट्यूट आफ टेक्नालाजी एंड मैनेजमेंट कॉलेज, पहड़िया में आयोजित ऑन कैंपस और वर्चुवल प्लेसमेंट ड्राइव में…
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बनारस के उजड़ते बुनकरों के सामने आजीविका का संकट गहराता जा रहा है

बनारस की सबसे घनी और गंदी बस्तियों में से एक लल्लापुरा अपनी कहानी कहने के लिए किसी उपमान को खोजने की मोहलत नहीं देता। बड़ी आसानी से आप समझ…
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कोरोनाकाल और युवाओं के भविष्य पर अनिश्चितता की तलवार

 हमारे देश में किसी को परमानेंट सरकारी नौकरी मिलना ऐसा है जैसे हीरे की खान हाथ लग जाना । देश में बढ़ती जनसंख्या और बेरोजगारी से जूझ रहे युवा…
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