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विरासत

शिद्दत से याद किए गए बाबू शिवदयाल चौरसिया

गोंडा। सुबह-सुबह हमने गोरखपुर के रामायण राय पार्क में आरएसएस के लोगों को देखकर अपने मित्र से पूछा कि पार्क में शाखा? तो उन्होंने कहा कि यह…
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रचनात्मक अभिव्यक्ति और बेजोड़ प्रतिबद्धता की मिसाल थे केपी शशि

सन् 1970 का दशक भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में प्रतिरोध के आंदोलनों के उभार के लिए जाना जाता है। इस दशक में मजदूरों और कृषकों के संगठित…
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संग्रह से प्रकाशन तक भिखारी ठाकुर का रचना संसार

लोक कलाकार भिखारी ठाकुर की 86वी जयंती समारोह 25-26 दिसंबर 1976 को बैजनाथ सिंह उच्च विद्यालय कुल्हड़िय में धूमधाम से मनाई गई। जयंती समारोह की…
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कैसे डॉ. अंबेडकर ने मेरी जीवनधारा बदली

आज 6 दिसंबर है। आज के दिन डॉ. अंबेडकर का परिनिर्वाण हुआ था। विचारों की एक मशाल से लाखों-करोडो़ं शूद्रों को मानसिक गुलामी से मुक्ति मिली। आज…
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यह ‘विद्रोही’ भी क्या तगड़ा कवि था

नयी खेती शीर्षक कविता संग्रह के प्रकाशित होने के पहले रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ प्राय: एक गुमनाम कवि की जिंदगी जी रहे थे। ‘विद्रोही’ के आलोचक…
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अम्बेडकर के लिए काम कीजिये वर्ना लोग भूल जाएँगे

आज 6 दिसंबर है। 1956 में इसी दिन समय ठहर सा गया था, जब सदियों के दबे-कुचले अछूतों, सताए व दबाये गए लोगों तथा समाज के तिरस्कृत वर्ग के प्रबल…
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एक बुरी खबर है, अपना राजू नहीं रहा!

राजू। इसी नाम से हम उन्हें पुकारा करते थे।  न राजू जी, न ही पाण्डेय जी। पता नहीं क्यों यही सम्बोधन बहुत अपना सा लगता था। शायद रायगढ़ में भी…
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अपने निर्णयों में अधिकतम जनपक्षधरता वाले नेता थे मुलायम सिंह यादव

मुलायम सिंह यादव आज हमारे बीच से चले गए और यह भी सत्य है कि उनके जैसा धरतीपुत्र कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। आज के दौर मे उनकी कमी बेहद…
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निषाद संस्कृति की ध्वजवाहिका थीं बिलासा देवी केवट

छत्तीसगढ़ की वीरांगना बिलासा केवट जिनके नाम पर बसा है बिलासपुर शहर... छत्तीसगढ़ में बिलासा एक देवी के रुप में देखी जाती हैं। कहते हैं कि…
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