प्रधानमंत्रियों के चुनावी भाषण पहले कैसे थे अब कैसे होते हैं
वैसे तो प्रधानमंत्री जी के संसद में दिए गए भाषण भी चुनावी भाषणों की भांति होते हैं और इनमें कटुता तथा व्यक्तिगत आक्षेपों की प्रचुरता होती है किंतु चुनावी भाषणों की जो शैली उन्होंने विकसित की है वह तो हतप्रभ और हताश करने वाली है। ‘शहजादा’, ‘नामदार’, ‘दो लड़के’, ‘बुआ और बबुआ’, ‘दीदी ओ दीदी’, … Continue reading प्रधानमंत्रियों के चुनावी भाषण पहले कैसे थे अब कैसे होते हैं
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