Saturday, December 21, 2024
Saturday, December 21, 2024




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

होमTagsGlobal hunger index

TAG

global hunger index

भूख सूचकांक में भारत की गिरावट के लिए सरकार की जनविरोधी नीतियां जिम्मेदार

देश के कृषि संकट को पहचानने और बेरोजगारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा की बिगड़ती स्थिति से निपटने के बजाए मोदी सरकार ने पिछले बजट में खाद्य सब्सिडी में 90,000 करोड़ रुपये की कटौती की थी। इसी तरह, अन्य सामाजिक कल्याण की  योजनाओं पर और मनरेगा आबंटन में भी 30 प्रतिशत की कटौती की गई है।

भूख सूचकांक में भारत 111वें स्थान पर, खरगे ने सरकार पर उठाया सवाल

नयी दिल्ली(भाषा)।  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने वैश्विक भूख सूचकांक में भारत के 111वें स्थान पर पहुंचने को लेकर शुक्रवार को केंद्र सरकार पर...

ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 के आइने में असमानता ख़त्म करने का एक अभिनव विचार!

विश्व आर्थिक महाशक्ति बनने का ढिंढोरा पीटने वाली मोदी सरकार की पोल खोलने वाली एक और रिपोर्ट सामने आई है। वह है ग्लोबल हंगर...

ग्लोबल हंगर इंडेक्स को लेकर भी असहिष्णु सरकार

कुपोषण और भुखमरी के यह हालात तब हैं जब राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून(2013) का कवच हमारे पास है जिसके जरिए हम 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को खाद्य और पोषण की सुरक्षा दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त फरवरी 2006 से अस्तित्व में आई मनरेगा जिसका प्रारंभिक उद्देश्य कृषि क्षेत्र की बेरोजगारी से मुकाबला करना था, आज कोविड-19 के कारण शहरों से वापस लौटे प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार मुहैया करा रही है।

भारत भूख पर सवार है

अर्थशास्त्री लुकास चांसेल और थॉमस पिकेटी द्वारा किये गये अध्ययन के निष्कर्ष बताते हैं कि 1922 के बाद से भारत में आय की असमानता का स्‍तर उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गयी है।  इसी प्रकार से इस साल के शुरुआत में ऑक्सफैम द्वारा जारी किये गये रिपोर्ट से पता चलता है कि भारतीयों की महज 10 प्रतिशत आबादी के पास कुल राष्ट्रीय संपत्ति का 77 प्रतिशत हिस्सा है। दरअसल भारत में यह असमानता केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि कम आय के साथ देश की बड़ी आबादी स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा जैसे मूलभूत जरूरतों की पहुंच के दायरे से भी बाहर है। 

ताज़ा ख़बरें