Friday, March 29, 2024
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तीस हज़ार की आबादी वाला गाँव जहां शहादत की गाथाएँ हैं लेकिन लड़कियों का एक भी स्कूल नहीं

उन्होंने कहा कि यदि ओबीसी के लिए सुरक्षित सीट न होती तो मैं चुनाव नहीं लड़ पाता। यह दीगर है कि वह इस गाँव के सबसे सम्पन्न लोगों में से एक हैं लेकिन जातीय समीकरण सामान्यतः उनके पक्ष में नहीं है। एक टर्म के बाद फिर यह सीट सामान्य हो गई। फिलहाल यहाँ से रवि प्रताप सिंह प्रधान हैं। मुस्तफा साहब ने पहले ही बताया था कि प्रदीप जायसवाल ने बहुत सा अतिक्रमण हटवाया और सार्वजनिक काम किए। मैंने प्रदीप जायसवाल से पूछा कि इतने बड़े गाँव में लड़कियों का एक भी स्कूल नहीं है। ऐसा क्यों? उन्होंने इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया। हालांकि उनका इशारा था कि यहाँ कन्या विद्यालय न होने की कई वजहें हैं। प्रभावशाली लोग नहीं चाहते कि कन्या विद्यालय खुले तो सारी जातियों की लड़कियां एक साथ पढ़ें।

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