न्यूनतम मजदूरी भी नहीं पा रहीं पटखलपाड़ा की औरतें लेकिन आज़ादी का अर्थ समझती हैं

पटखलपाड़ा के सामने जो खाली मैदान है वह पूरे नालासोपारा की गंदगी से पट रहा है। महिलाएं बताती हैं कि पश्चिम से हवा बहने पर धूल और गंदगी उड़कर यहाँ तक आ जाती है जिससे बाहर रखे कपड़े और सामान गंदगी से भरते हैं। वे बताती हैं कि बदबू की तो अब आदत हो गई है क्योंकि इसके अलावा कोई चारा ही नहीं हैं। यहाँ करीब पाँच हज़ार की आबादी है जो इन समस्याओं के साथ जी रही है।