इतिहास बदलने के बाद अब धर्म बदलेगा आरएसएस!

भागवत यदि अपनी बात के प्रति संजीदा हैं, तो कायदे से उन्हें मनुस्मृति सहित उन सारे ग्रंथों की निंदा और भर्त्सना करना चाहिये, जिनके नाम पर, जिनके लिखे के आधार पर सदियों तक इस जम्बूद्वीपे भारतखंडे की जनता के 90 फीसद हिस्से को सताया गया। देश, उसकी सभ्यता, उसकी मनुष्यता को बेड़ियों में बांधकर कर करीब डेढ़ हजार वर्ष तक उसकी प्रगति को अवरुद्ध करके रखा।