नया सत्र आरम्भ होते ही स्कूलों में शुरू हो गया कमीशन का खेल

एनसीईआरटी की 256 पन्नों की एक किताब 65 रुपये की है जबकि निजी प्रकाशक की 167 पन्नों की किताब 305 रुपये में मिल रही है। ऐसी कौन की किताबें स्कूल पढ़ा रहा है जो 500 से 600 रुपये में मिल रहीं हैं। इतनी महंगी तो बीए-एमए की किताबें भी नहीं आतीं। पहले बड़े बच्चे की किताबों से उनका छोटा बच्चा पढ़ लेता था क्योंकि किताबें वही रहती थी। अब बड़े बच्चों की किताबें छोटा बच्चा प्रयोग नहीं कर पाता क्योंकि हर साल जान-बूझकर किताबों में कोई न कोई बदलाव कर दिए जाते हैं।