सूपवा ब्यंग कसे तो कसे, चलनियों कसे, जिसमें बहत्तर छेद

मैं चार दिसंबर को महानगरी से स्लीपर क्लास में मुम्बई आ रहा था। हमारे सीट के पास एक परिवार सफर कर रहा था। वे सभी लोग भी हाथ में नया-नया कलावा और सर पर तिलक लगाए हुए थे। पूछने पर पता चला शादी समारोह के बाद पूरा परिवार मुम्बई लौट रहा है। हमें लगता है … Continue reading सूपवा ब्यंग कसे तो कसे, चलनियों कसे, जिसमें बहत्तर छेद