खिलौना रंगने वाली औरत की साठ रुपये रोज पर कैसे गुजर होती होगी?

बनारस के मुहल्लों में काम कर रहे श्रमिकों का कठिन जीवन – पहली किश्त  एक  छत पर पहुँचते ही रंग की तेज गंध नाक में घुसी। वहाँ तीन महिलाएँ और तीन पुरुष काम कर रहे थे लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींचा उस बूढ़ी महिला ने जो सलवार-कुर्ता पहने थीं। सलवार के पायंचे ऊपर खिंचे हुये … Continue reading खिलौना रंगने वाली औरत की साठ रुपये रोज पर कैसे गुजर होती होगी?