यदि पहाड़ की ऊंचाइयों से डर जाती तो लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल होता : पर्वतारोही आशी जैन

12वीं पास करने के बाद बिलासपुर इंजीनियरिंग के एन्ट्रन्स एक्जाम देने गईं।  परीक्षा देने के बाद अपने पापा अखिलेश जैन के साथ उनके मित्र के यहाँ गई थीं। वहाँ उसने एक मैगजीन में अरुणिमा सिन्हा के साहस और संघर्ष की कहानी पढ़ी। पढ़ने के बाद अपने पिता (अखिलेश जैन, जो पंजाब नेशनल बैंक में कार्यरत हैं) से कहा कि वह भी ऐसा ही कुछ करना चाहती हैं। आपको बता दें कि ये वही अरुणिमा सिन्हा है जिनके साथ सन 2011 में एक घटना घटी। वे अंबेडकरनगर से दिल्ली अपनी नौकरी के इंटरव्यू के लिए जा रही थीं।  ट्रेन में कुछ लड़के, सवारियों से सामान छीन रहे थे और अरुणिमा से उनकी  सोने की चैन छिनना चाहे, जिसका उन्होंने मुकाबला किया और जिसके परिणामस्वरूप उन्हें चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया और दूसरी पटरी पर आ रही ट्रेन से उनका एक पैर कट गया।