लकड़ी की कारीगरी का नया अंदाज़ है जोगई

उमेश जोगई ने बताया कि शिवाला में जो वर्कशॉप था वह भी जोगई के नाम से ही था लेकिन टैग लाइन थी–क्रिएटिविटी द मैटर और जब आज से चार माह पहले अपना वर्कशॉप और शोरूम यहाँ लेकर आये तो टैग लाइन बदली–इनोवेशन विद ट्रेडिशन, क्योंकि पुराने चीजों की ओर हम फिर लौटना चाहते हैं। प्लास्टिक के आ जाने से लकड़ी की चीजें विलुप्त हो गईं। यहाँ तक कि हाथ से झलने वाला लकड़ी का पंखा और रसोई में पानी भरने की गगरी तक प्लास्टिक की आ चुकी है।