कभी कालीन उद्योग की रीढ़ रहा एशिया का सबसे बड़ा भेड़ा फार्म आज धूल फाँक रहा है!

जिस समय भेड़ा फार्म की बिल्डिंग नहीं बनी थी तब उन्होंने उस समय बसौली गाँव में ही भेड़ों और चरवाहों के रहने के लिए जगह का इंतजाम किया था लेकिन बाद में उनका गाँव इस योजना से बाहर हो गया। स्थानीय लोगों को रोजगार भी नहीं मिला और फिलहाल इसकी तीन-चौथाई से अधिक ज़मीनें वन विभाग को जंगल लगाने के लिए दे दी गईं। अब विशाल वन प्रांतर दिखाई देता है जिसमें कहीं-कहीं महुए, पीपल और सागौन के पेड़ दिखते हैं और ज़्यादातर में पलाश की झाड़ियाँ हैं। लालतापुर की सीमा से कुछ बीघे दूर एक झंडा दिखता है जो किसी छोटे-मोटे मंदिर का है।