रामचरितमानस आलोचना से परे नहीं है और बहुजनों को उस पर सवाल उठाना चाहिए

आज-कल हमारे देश में सभी बुद्धिजीवी, समाज सुधारक एवं राजनीतिज्ञ हिंदू समाज में व्याप्त सामाजिक अन्याय और सामाजिक परिवर्तन की बात करते हैं, लेकिन सामाजिक अन्याय कब, कहां, कैसे और क्यों शुरू हुआ, इसकी जड़ क्या है, किसने और किस भावना से अन्याय किया, उसकी जड़ की गहराई में जाने की कोशिश कोई नहीं करता … Continue reading रामचरितमानस आलोचना से परे नहीं है और बहुजनों को उस पर सवाल उठाना चाहिए