हर शहर में सबसे अधिक उपेक्षित होते हैं रिक्शेवाले

आज भी रिक्शे वाले आदमी को खींचते हुये न केवल हाँफ और खाँस रहे हैं बल्कि लोगों द्वारा उनको कम मेहनताना मिलता है। लोगों द्वारा उनकी मेहनत के मुक़ाबले जायज़ किराया देने की जगह धौंस देकर कम किराया देने का व्यवहार आम है तथा रिक्शेवाले अक्सर पुलिस के अपमान, गालियों और डंडे के शिकार होते हैं। शहर में किसी वी आई पी के आने का सबसे अधिक खामियाजा रिक्शेवाले ही भुगतते हैं।