राजेंद्र यादव को मैं इसलिए भंते कहता हूँ कि उन्होंने साहित्य में दलितों और स्त्रियों के लिए जगह बनाई

राजेंद्र यादव के बारे में मैं जब भी सोचता हूँ, प्रसिद्ध शायर शहरयार की ये पंक्तियाँ मेरे जेहन में उभरने लगती हैं – उम्र भर देखा किए उसकी तरफ यूँ जैसे,     सारे आलम की हकीकत निगाहे यार में है।     एक आलम है कि उस सिम्त खिंचा जाता है     जाने वो कौन सी … Continue reading राजेंद्र यादव को मैं इसलिए भंते कहता हूँ कि उन्होंने साहित्य में दलितों और स्त्रियों के लिए जगह बनाई