बलरामपुर में थारू जनजाति के बीच प्रवास में मिथकों और वास्तविकता की छानबीन

हिमालय की तराई में निवास करनेवाली थारू जनजाति अपने बारे में प्रचलित मिथकों और थोपी गई धारणाओं को सच मानते हुये जी रही है लेकिन गहराई से छानबीन करने पर पता लगता है कि मूलतः कृषि प्रधान संस्कृति का हिस्सा रही यह जनजाति व्यापक रूप से थोपी गई मान्यताओं को अपनाकर अपनी पुरानी जीवन-पद्धतियों को पीछे छोड़ रही है। इसके साथ ही वह कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य के अतिरिक्त रोजगार के मोर्चे पर कठिन संघर्ष कर रहे थारू अभी भी महज़ वोट बैंक की तरह देखे जा रहे हैं। बलरामपुर के थारुओं के बीच रहकर उनको जानने की कोशिश की गई।