अदालत-अदालत का फर्क या फिर कुछ और? (डायरी 22 मई, 2022)

यह कोई नई बात नहीं है कि सेवानिवृत्त हो चुके जजों के अलावा नौकरशाहों की अंतरात्मा जाग जाती है। उनके बयान ऐसे प्रतीत होते हैं गोया वे सच्चाई के पर्याय हों। पत्रकारिता के दौरान अब तक ऐसे अनेक महानुभावों के दर्शन हुए हैं। एक नये महानुभाव हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. लोकुर। उन्होंने … Continue reading अदालत-अदालत का फर्क या फिर कुछ और? (डायरी 22 मई, 2022)