मां की कविताएं उन किताबों में से गुम होती चली गईं जिन्हें छिपाकर दहेज के साथ ले आई थीं-1

पहला हिस्सा  मैं जब भी यहां, अपने मायके कलकत्ता आती हूं,  इस कमरे के बिस्तर के इस किनारे पर जरूर लेटती हूं- जहां मां लेटा करती थीं क्योंकि यहां से सामने रसोई दिखती है। रसोई में पकता खाना, वहां हो रहे सब क्रिया-कलाप यहां लेटकर दिखाई देते हैं ….. और बिस्तर के ठीक सामने लगे … Continue reading मां की कविताएं उन किताबों में से गुम होती चली गईं जिन्हें छिपाकर दहेज के साथ ले आई थीं-1