अभिशाप नहीं हैं स्त्रियों में समानता के हक पर दावा करना,डायरी (20 अप्रैल, 2022)

यकीन नहीं आता है कि अतीत का साहित्य इतना असरदार होता था कि समाज उसका अनुसरण करने लगता था। आज भी कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि समाज साहित्य का अनुसरण कर रहा है। लेकिन जिस साहित्य का अनुसरण भारतीय समाज का बहुसंख्यक वर्ग कर रहा है, वह धर्म का हिस्सा बन चुका है … Continue reading अभिशाप नहीं हैं स्त्रियों में समानता के हक पर दावा करना,डायरी (20 अप्रैल, 2022)