शीतलहर भी नहीं रोक पाई खिरिया बाग के किसानों का संघर्ष

खिरियाबाग आंदोलन पर हमला जारी रहा जैसे दिल्ली के किसान आंदोलन को तोड़ने की कोशिश की गई थी। खिरिया बाग किसान-मजदूर आंदोलन को अर्बन नक्सल से जोड़कर अमर उजाला ने एक झूठी खबर प्लांट की। इस खबर का उद्देश्य आंदोलन को बदनाम करके खत्म करना था। ज़ाहिर है यह सरकार के इशारे पर किया गया और इसमें पत्रकार और अखबार के प्रबंधन को भारी भुगतान किया गया था। एक ऐसे संवेदनशील मुद्दे को इतने घातक तरीके से खबर के रूप में प्लांट करना और आंदोलन के समर्थकों को अर्बन नक्सल के रूप संदिग्ध बनाना कितना खतरनाक है यह कोई भी सचेत व्यक्ति समझ सकता है।