शोध चयन प्रक्रिया में चापलूसी और भाई-भतीजावाद से मुरझा रही हैं जेनुइन प्रतिभाएं

शोध की अंतहीन कथाएँ हैं। अगर शोधार्थी अपने अनुभवों को कलमबद्ध कर दें तो यह उपन्यास से भी बढ़कर और रोचक होगा। लेकिन बेचारे शोधार्थी अपने गाइड की सेवा में ही इतने चिंगुर जाते हैं कि बाकी लिखने के लिए दिमाग काम ही नहीं करता। पढ़िये युवा कवि-कहानीकार दीपक शर्मा  की यह टिप्पणी विद्यार्थियों द्वारा … Continue reading शोध चयन प्रक्रिया में चापलूसी और भाई-भतीजावाद से मुरझा रही हैं जेनुइन प्रतिभाएं