यह महज अफगानिस्तान का मसला नहीं है, डायरी (1 सितंबर, 2021)
मुझे सपनों को दर्ज करने की आदत रही है। वैसे तो रात में अनेक सपने आते हैं (कभी कभी नहीं भी आते हैं)। अधिकांश सपनों की उम्र केवल तभी तक होती है जबतक कि वे मेरे जेहन में रहते हैं और मेरी आंखें बंद रहती हैं। आंखें खुलने के बाद भी जेहन में जिंदा रहने … Continue reading यह महज अफगानिस्तान का मसला नहीं है, डायरी (1 सितंबर, 2021)
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