लुटेरे बन्दर और अन्य कविताएं

राकेश कबीर अल्हदा मिजाज़ के कवि  हैं। वह कविता को  रचते नहीं हैं बल्कि मन की अंगीठी पर समझ की सघन आंच से कविता की मिट्टी को बिल्कुल वैसे पकाते हैं, जैसे कोई कुम्हार प्यार की थपकी से बनाये हुए बर्तनों को पकाता है। हम यहाँ पर उनकी कुछ ऐसी कवितायें प्रस्तुत कर रहे हैं … Continue reading लुटेरे बन्दर और अन्य कविताएं