संतराम बी ए आर्यसमाज के भीतर के जातिवाद से दिन-रात लड़ते रहे

 संतराम बी.ए को जब याद करते हैं तब हमारे सामने एक ऐसे व्यक्ति की शख्सियत उभरती है जो जितनी सज्जनता से अपनी सामाजिक गतिविधियों मे आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता था उससे अधिक तीखी निगाह से अपने साथियों और समकालीनों के विचारों और व्यवहारों को देखता , उनका विश्लेषण करता और फिर अपनी स्पष्ट सहमति अथवा … Continue reading संतराम बी ए आर्यसमाज के भीतर के जातिवाद से दिन-रात लड़ते रहे