ज़मीन की लूट और मुआवजे के खेल में लगे सेठ-साहूकार और अधिकारी-कर्मचारी

जहां भी कोई नई परियोजना शुरू होती है वहाँ इनकी निगाह सबसे पहले जाती है और परियोजना का काम शुरू होने से पहले ही वे मुआवज़े और मुनाफे में अपनी हिस्सेदारी तय कर चुके होते हैं। इस बार सामुदायिक वन अधिकार पर रिपोर्टिंग के लिए जब मैं तमनार गई तो कई गाँव के खेतों में बने शेड, बाउंड्री और तालाब देख कर जिज्ञासा हुई कि अचानक ये चीजें इतनी बड़ी संख्या में कैसे बन गईं?