लाल रत्नाकर की कलाकृतियों में सामाजिक न्याय की अक्काशी

कला के पारखी विद्वानों ने ललित कला को परिभाषित करते हुए कहा है कि सौन्दर्य या लालित्य के आश्रय से व्यक्त होने वाली कला, ललित कला है। इसे प्रकारांतर से समझा जाए तो यह आशय ध्वनित होता है कि, जो कला या कलाएं सौंदर्य या लालित्य के आश्रय से व्यक्त नहीं होतीं वह ललित कला … Continue reading लाल रत्नाकर की कलाकृतियों में सामाजिक न्याय की अक्काशी