महाराष्ट्र के दलित लेखकों से प्रेरणा लें बहुजन बुद्धिजीवी

आज किस तरह दलित नेता अपने निजी स्वार्थों के चलते बलात्कारियों के पक्ष और दंगाइयों के पक्ष में रैलियां निकालती सत्ता की ताल में ताल मिला कर चुप्पी साधे हुए हैं और हमें इस संघर्ष में जूझने के लिए अकेला छोड़ दिया है। कहां है वे पूनापेक्ट समझौते के आरक्षण से संसद में पहुंचे हुए 131 सांसद? ऐसे में सत्ता और प्रशासन अपने मनमाने ढंग से दलितों को हांक रही है।