वेद और लोक का द्वंद्व: तुलसी बनाम कबीर  

अपनी आलोचनात्मक पुस्तक ‘कबीर के आलोचक’ के द्वारा डॉ. धर्मवीर ने हिंदी आलोचना की एक नयी ज़मीन तोड़ी थी। अपनी इस पुस्तक में उन्होंने मध्यकालीन साहित्य के सबसे प्रखर, तेजस्वी और परिवर्तनकामी चेतना के कवि कबीरदास की आलोचना करने वाले रामचंद्र शुक्ल, हज़ारीप्रसाद द्विवेदी, अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिओध’ आदि की तीखी आलोचना करते हुए न केवल … Continue reading वेद और लोक का द्वंद्व: तुलसी बनाम कबीर