बात, जो पूंजीवाद और नवउदारवाद के विमर्श के परे भी है डायरी (17 अगस्त, 2021)
पूंजीवाद मेरे जीवन में पहली बार तब आया जब मैं पत्रकार बना ही था। पटना से प्रकाशित दैनिक आज में मुझे जो बीट दिया गया था, उसमें सीपीआइ, सीपीएम और भाकपा-माले आदि पार्टियां थीं। इन दलों के नेताओं द्वारा इस शब्द का इस्तेमाल लगभग हर प्रेस विज्ञप्ति में किया ही जाता था। संवाददाता सम्मेलनों में … Continue reading बात, जो पूंजीवाद और नवउदारवाद के विमर्श के परे भी है डायरी (17 अगस्त, 2021)
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