एक लाइन में कई कमरों वाला वह तीसरा तल्ला -2

दूसरा हिस्सा मौसी मां की बड़ी लाड़ली थी। मुझे अपने होश संभालने के बाद जो पहली शादी याद है, वह मौसी की शादी थी। विदाई की रस्म जेहन में क्यों दर्ज रह गई, क्या मालूम। शायद पापा की आवाज का असर था कि उन्होंने मौसी की शादी में जो शिक्षा- पंजाबी में जिसे ‘सिखिया’ कहा … Continue reading एक लाइन में कई कमरों वाला वह तीसरा तल्ला -2