वरुणा नदी यात्रा : पर्वत की चिट्ठी तू ले जाना सागर की ओर!

जबकि सदियों से हमारे देश में मनुष्य और प्रकृति के द्वारा जल का संचय होता आया है। लेकिन आज यह स्थिति बदल गई है। इसमें सरकारी तंत्र पर समाज के आश्रित हो जाने ने अहम भूमिका निभाई है। इसका परिणाम जल प्रबंधन में सामुदायिक हिस्सेदारी के पतन के रूप में सामने आया। नदी के किनारे बस रहे लोगों को पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा।