राष्ट्रीय
अन्ना की मौत : कॉर्पोरेट का क्रूर चेहरा
अन्ना की मौत हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या यह तथाकथित 'विकास' और 'प्रगति' वाकई में लोगों के लिए है? पूंजीपतियों की लालच और सरकार की पूंजीवाद-समर्थक नीतियाँ न केवल लोगों की आजीविका छीन रही हैं, बल्कि उनकी जान भी ले रही हैं। असली विकास का मतलब केवल आर्थिक मुनाफा नहीं है। असली विकास तब होगा जब लोग शोषण-मुक्त जीवन जी सकें और उन्हें काम का आनंद मिले।
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क्यों नहीं कम हो रहे हैं दलितों पर अत्याचार
बिहार के नवादा में घटी घटना आज भी जातीय भेदभाव को प्रदर्शित करती है। जब बीजेपी और आरएसएस जैसे संगठन हिन्दू एकता का नारा लगाते है तो वे इस तरह दलित उत्पीड़न पर मौन क्यों है? जातिगत उत्पीड़न और पूंजीवादी शोषण आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। जब तक ऐसी जातिगत व्यवस्था को चुनौती नहीं दी जाएगी तब तक शोषण जारी रहेगा ।