Saturday, July 27, 2024
होमविचार

विचार

फ़िलिस्तीन की मुक्ति का स्वप्न और स्वप्न को पूरा करने की ताक़त हैं ग़सान कनाफ़ानी का लेखन

ग़सान कनाफ़ानी को याद करने की वजह सिर्फ़ यह नहीं है कि उनके साहित्य की बारीकियों को समझा जाए और उसके कलात्मक अवदान को समझा जाए बल्कि आज के दौर में कनाफ़ानी को याद करने का अर्थ है फ़िलिस्तीनी मुक्ति संघर्ष के साथ एकजुटता ज़ाहिर करना और उस फ़िलिस्तीन को बेहतर तरह से समझना जो आज लगभग आठ दशकों से इस तथाकथित आधुनिक दुनिया में इज़राएल के ज़ुल्मों को सहते हुए अपनी ही जमीन पर ग़ुलामों की तरह रहने पर मजबूर है।

समाज में फैले भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है 

किसी भी देश का तंत्र(सिस्टम) कैसा है, जानने के लिए वहाँ की राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति से पता किया जा सकता है। यदि सिस्टम भ्रष्ट है तो वहाँ रहने वाले लोग भी भ्रष्ट होंगे। हमारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाले संगठन, दल, गैर सरकारी संस्थाएं और समाज के लोग खुद ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लिप्त हैं। पढ़िये तेजपाल सिंह 'तेज' का यह लेख

क्या सेठ अंबानी की दावत में शामिल होने से अखिलेश यादव छोटे और न शामिल होने से राहुल गांधी बड़े नेता बन गए हैं

अनंत अंबानी की शादी में राजनेताओं के शामिल होने को लेकर भारत में भीषण मॉरल पुलिसिंग जारी है। जनवादी सोच का कोई भी व्यक्ति इसे धनबल का नंगा और अश्लील प्रदर्शन ही कहेगा। लेकिन शादी में विपक्ष के अनेक नेताओं के शामिल होने और राहुल गांधी के न शामिल होने को लेकर जिस तरह की बहसें चल रही हैं उससे अंदाज़ा होता है कि देश की जनता अभी भी हर मुद्दा ज़मीन पर नहीं इमोशनल संसार में सुलझाने में अधिक रुचि लेती है। लोकतंत्र के सबसे कठिन दौर में जब सघन राजनीतिक बहसों, आंदोलनों और संघर्षों के जरिये नेताओं को परखने की जरूरत है तब एक शादी के बहाने खड़ी की गई बहसों के जलजले ने बता दिया कि अभी यह दौर कुछ और चलेगा। इन स्थितियों का विश्लेषण कर रहे हैं युवा लेखक मुलायम सिंह।

देश की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास पर हमला करने वाले कब नियंत्रित होंगे?

वर्ष 2014 में बीजेपी के आ जाने के बाद संघ और मजबूती से अपनी रणनीतियों को लागू करने की तेजी दिखा रही है। एक तरफ संविधान बदलकर हिन्दू राष्ट्र बनाने की जल्दी है, वहीं दूसरी तरफ देश की शिक्षा व कानून में बदलाव कर उसे अपने कब्जे में करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

क्यों लगता है कि नालंदा महाविहार को बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था?

देश में हिंदुतव को लेकर जो माहौल चल रहा है, उसमें मुसलमानों को कटघरे में खड़े करने में संघ ने कभी कोई परहेज नहीं करेगा। अभी हाल में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया और अपने भाषण में प्राचीन विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को जलाकर नष्ट करने का आरोप बख्तियार खिलजी पर लगाया क्योंकि वह मुसलमान था। लेकिन इतिहास के प्रमाण कुछ और ही बात साबित करते हैं। पढ़िए यह लेख

फ़िलिस्तीन की मुक्ति का स्वप्न और स्वप्न को पूरा करने की ताक़त हैं ग़सान कनाफ़ानी का लेखन

ग़सान कनाफ़ानी को याद करने की वजह सिर्फ़ यह नहीं है कि उनके साहित्य की बारीकियों को समझा जाए और उसके कलात्मक अवदान को समझा जाए बल्कि आज के दौर में कनाफ़ानी को याद करने का अर्थ है फ़िलिस्तीनी मुक्ति संघर्ष के साथ एकजुटता ज़ाहिर करना और उस फ़िलिस्तीन को बेहतर तरह से समझना जो आज लगभग आठ दशकों से इस तथाकथित आधुनिक दुनिया में इज़राएल के ज़ुल्मों को सहते हुए अपनी ही जमीन पर ग़ुलामों की तरह रहने पर मजबूर है।

समाज में फैले भ्रष्टाचार के लिए कौन जिम्मेदार है 

किसी भी देश का तंत्र(सिस्टम) कैसा है, जानने के लिए वहाँ की राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति से पता किया जा सकता है। यदि सिस्टम भ्रष्ट है तो वहाँ रहने वाले लोग भी भ्रष्ट होंगे। हमारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाले संगठन, दल, गैर सरकारी संस्थाएं और समाज के लोग खुद ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में लिप्त हैं। पढ़िये तेजपाल सिंह 'तेज' का यह लेख

क्या सेठ अंबानी की दावत में शामिल होने से अखिलेश यादव छोटे और न शामिल होने से राहुल गांधी बड़े नेता बन गए हैं

अनंत अंबानी की शादी में राजनेताओं के शामिल होने को लेकर भारत में भीषण मॉरल पुलिसिंग जारी है। जनवादी सोच का कोई भी व्यक्ति इसे धनबल का नंगा और अश्लील प्रदर्शन ही कहेगा। लेकिन शादी में विपक्ष के अनेक नेताओं के शामिल होने और राहुल गांधी के न शामिल होने को लेकर जिस तरह की बहसें चल रही हैं उससे अंदाज़ा होता है कि देश की जनता अभी भी हर मुद्दा ज़मीन पर नहीं इमोशनल संसार में सुलझाने में अधिक रुचि लेती है। लोकतंत्र के सबसे कठिन दौर में जब सघन राजनीतिक बहसों, आंदोलनों और संघर्षों के जरिये नेताओं को परखने की जरूरत है तब एक शादी के बहाने खड़ी की गई बहसों के जलजले ने बता दिया कि अभी यह दौर कुछ और चलेगा। इन स्थितियों का विश्लेषण कर रहे हैं युवा लेखक मुलायम सिंह।

देश की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास पर हमला करने वाले कब नियंत्रित होंगे?

वर्ष 2014 में बीजेपी के आ जाने के बाद संघ और मजबूती से अपनी रणनीतियों को लागू करने की तेजी दिखा रही है। एक तरफ संविधान बदलकर हिन्दू राष्ट्र बनाने की जल्दी है, वहीं दूसरी तरफ देश की शिक्षा व कानून में बदलाव कर उसे अपने कब्जे में करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

क्यों लगता है कि नालंदा महाविहार को बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था?

देश में हिंदुतव को लेकर जो माहौल चल रहा है, उसमें मुसलमानों को कटघरे में खड़े करने में संघ ने कभी कोई परहेज नहीं करेगा। अभी हाल में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया और अपने भाषण में प्राचीन विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को जलाकर नष्ट करने का आरोप बख्तियार खिलजी पर लगाया क्योंकि वह मुसलमान था। लेकिन इतिहास के प्रमाण कुछ और ही बात साबित करते हैं। पढ़िए यह लेख

पिता, पुत्र और हिंदुत्व के एजेंडे की ओर ठेलमठेल

आरएसएस के एक शीर्ष पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने भी कहा कि अहंकार के कारण भाजपा की सीटों में गिरावट आई है। आरएसएस ने तुरंत इस बयान से पल्ला झाड़ लिया और इंद्रेश कुमार ने इसे वापस लेते हुए प्रमाणित किया कि केवल मोदी के नेतृत्व में ही भारत प्रगति कर सकता है। कई टिप्पणीकारों ने डॉ. भागवत के बयान को आरएसएस और भाजपा के बीच दरार के संकेत के रूप में लिया है।