Tuesday, October 15, 2024
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मिर्जापुर : बाँध में पर्याप्त पानी होने के बाद भी सात किलोमीटर रैकल टेल सूखी, धान की फसल बर्बाद होने की कगार पर 

'किसान अन्नदाता हैं' सुनने में यह बहुत अच्छा लगता है लेकिन किसान आज किस हाल में खेती कर पा रहे हैं, यह उनसे पूछने पर मालूम होगा। कहीं बीज नहीं मिल पा रहा है, तो कहीं खाद की समस्या है, कहीं बिजली नहीं तो कहीं सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। किसानों के लिए अनेक योजनायें हैं लेकिन या तो कागज पर हैं या जो लागू हैं उनमें बहुत ही घालमेल है, जिसकी वजह से वह किसानों तक नहीं पहुँच पा रही हैं। मिर्जापुर जिले के अति पिछड़े इलाके मड़िहान तहसील में सिरसी पम्प कैनाल में पानी नहीं आ पाने के कारण किसानों की फसल सूखने की कगार पर है। पढ़िए संतोष देव गिरि की रिपोर्ट

सरकार गांधी का नकली चश्मा पहन, एक आंख से सांप्रदायिकता और दूसरी आंख से तानाशाही देखती है – संजीव सिंह

सत्ता में भाजपा के आने के बाद गाँधी से जुड़े संस्थानों और उनके विचारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनकी विरासत पर कब्ज़ा कर, उन्हें लगातार ध्वस्त करने की प्रक्रिया और लोकतंत्र को विकृत करने के खिलाफ गांधीवादी लोग आम जनता तक, इन बातों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर को पूरी तरह खत्म करने के बाद 11 सितम्बर 2024 से 100 दिनी सत्याग्रह की शुरुआत की गई।

पूर्वाञ्चल : भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सत्याग्रह

मनुष्य के सामाजिक सरोकार का सबसे सशक्त माध्यम है उसकी मातृभाषा। शैशवास्था से युवावस्था तक मातृभाषा के साथ सांस्कृतिक धरोहर विरासत के रूप में प्राप्त हो जाती है। हम सभी की मातृभाषा ही हमारे भावनात्मक और वैचारिक अभिव्यक्ति का सहज और सुगम माध्यम है। लगभग 5 दशकों से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है लेकिन किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।

वाराणसी : बनारसी साड़ी बनाने वाले बुनकरों के समक्ष रोजगार व संसाधनों की चुनौती – प्रशांत भूषण

बनारस के आसपास के इलाकों में रहने वाले ग्रामीण बुनकरों की समस्याओं का कोई अंत नहीं है। वे लगातार अपना काम कर रहे हैं। इसलिए कि बिना काम किए उनका गुजारा नहीं है। लेकिन अब वे अपने भविष्य को लेकर चौकन्ने हो गए हैं और इसका एक ही रास्ता दिखाई पड़ता है कि वे संगठित होकर अपनी मांगों को उठाएं। 29 सितंबर को बिजली दर में हुई वृद्धि को लेकर एक सम्मेलन हुआ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण उपस्थित हो बुनकरों की समस्याओं को सुना।

आजमगढ़ : 29 सितंबर को बलदेव मंदुरी में होगा किसान संवाद

संवाद सम्मेलन का उद्देश्य किसानों की समस्याओं पर विचार कर उन्हें दूर करना है। यह सम्मेलन 29 सितंबर, रविवार के दिन आयोजित किया गया है।

मिर्जापुर : बाँध में पर्याप्त पानी होने के बाद भी सात किलोमीटर रैकल टेल सूखी, धान की फसल बर्बाद होने की कगार पर 

'किसान अन्नदाता हैं' सुनने में यह बहुत अच्छा लगता है लेकिन किसान आज किस हाल में खेती कर पा रहे हैं, यह उनसे पूछने पर मालूम होगा। कहीं बीज नहीं मिल पा रहा है, तो कहीं खाद की समस्या है, कहीं बिजली नहीं तो कहीं सिंचाई के लिए पानी का अभाव है। किसानों के लिए अनेक योजनायें हैं लेकिन या तो कागज पर हैं या जो लागू हैं उनमें बहुत ही घालमेल है, जिसकी वजह से वह किसानों तक नहीं पहुँच पा रही हैं। मिर्जापुर जिले के अति पिछड़े इलाके मड़िहान तहसील में सिरसी पम्प कैनाल में पानी नहीं आ पाने के कारण किसानों की फसल सूखने की कगार पर है। पढ़िए संतोष देव गिरि की रिपोर्ट

सरकार गांधी का नकली चश्मा पहन, एक आंख से सांप्रदायिकता और दूसरी आंख से तानाशाही देखती है – संजीव सिंह

सत्ता में भाजपा के आने के बाद गाँधी से जुड़े संस्थानों और उनके विचारों पर लगातार हमले हो रहे हैं। उनकी विरासत पर कब्ज़ा कर, उन्हें लगातार ध्वस्त करने की प्रक्रिया और लोकतंत्र को विकृत करने के खिलाफ गांधीवादी लोग आम जनता तक, इन बातों को पहुंचाने का काम कर रहे हैं। पिछले वर्ष वाराणसी में सर्व सेवा संघ परिसर को पूरी तरह खत्म करने के बाद 11 सितम्बर 2024 से 100 दिनी सत्याग्रह की शुरुआत की गई।

पूर्वाञ्चल : भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सत्याग्रह

मनुष्य के सामाजिक सरोकार का सबसे सशक्त माध्यम है उसकी मातृभाषा। शैशवास्था से युवावस्था तक मातृभाषा के साथ सांस्कृतिक धरोहर विरासत के रूप में प्राप्त हो जाती है। हम सभी की मातृभाषा ही हमारे भावनात्मक और वैचारिक अभिव्यक्ति का सहज और सुगम माध्यम है। लगभग 5 दशकों से भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की जाती रही है लेकिन किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।

वाराणसी : बनारसी साड़ी बनाने वाले बुनकरों के समक्ष रोजगार व संसाधनों की चुनौती – प्रशांत भूषण

बनारस के आसपास के इलाकों में रहने वाले ग्रामीण बुनकरों की समस्याओं का कोई अंत नहीं है। वे लगातार अपना काम कर रहे हैं। इसलिए कि बिना काम किए उनका गुजारा नहीं है। लेकिन अब वे अपने भविष्य को लेकर चौकन्ने हो गए हैं और इसका एक ही रास्ता दिखाई पड़ता है कि वे संगठित होकर अपनी मांगों को उठाएं। 29 सितंबर को बिजली दर में हुई वृद्धि को लेकर एक सम्मेलन हुआ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण उपस्थित हो बुनकरों की समस्याओं को सुना।

आजमगढ़ : 29 सितंबर को बलदेव मंदुरी में होगा किसान संवाद

संवाद सम्मेलन का उद्देश्य किसानों की समस्याओं पर विचार कर उन्हें दूर करना है। यह सम्मेलन 29 सितंबर, रविवार के दिन आयोजित किया गया है।

मिर्ज़ापुर में ग्रामीण सड़क : तमाम दावे फेल, सड़क के गड्ढे डरावने हो चुके हैं

पूरे उत्तर प्रदेश को आपस में जोड़ने के लिए एक्स्प्रेस वे, हाई वे, रिंग रोड बनाये गए हैं और अभी बन भी रहे हैं। गाड़ियों से चलने वाले खुश हैं और 'विकास हुआ' का दावा भी कर रहे हैं लेकिन उप्र के गांवों में जाने पर विकास की असलियत सामने आती है, जहां सड़क के नाम पर दशकों पहले बनी हुई सड़कों के निशान बाकी हैं। असल में सरकार दिखावे वाले विकास पर काम करती है। पढ़िये मिर्ज़ापुर के विशुनपुरा गांव से संतोष देवगिरि की ग्राउंड रिपोर्ट