इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने रविवार को कहा कि किसी राष्ट्र की प्रगति के लिए उसके संविधान का अत्यधिक महत्व होता है। व्यवस्थित संविधान देश की मजबूती और विकास का द्योतक है।
छिहत्तर वर्षों में पहली बार विमुक्त घुमंतू नट समुदाय ने बाबा साहब की जयंती मनाई। नट समुदाय दशकों से सामाजिक अन्याय, भेदभाव और हाशिये पर रहने की पीड़ा झेल रहा है। संविधान निर्माता बाबा साहब के आदर्शों से प्रेरित होकर इस समुदाय ने अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो उन्हें याद किया।
गाजीपुर जिले के कासिमबाद-नोनहरा इलाके में स्थित एक गाँव क़यामपुर छावनी के लोगों ने अपने गाँव से गुजरनेवाली मंगई नदी पर पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। इसमें खास बात यह है कि लोगों ने जनसहयोग से इतना बड़ा कम शुरू किया है और काफी हद तक काम पूरा कर दिया है। आसपास के गांवों के लोगों के अलावा जिले के अन्य इलाकों से भी उन्हें सहयोग मिल रहा है। हालांकि वे लंबे समय तक पुल की मांग करते रहे लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहे। जनप्रतिनिधियों ने दशकों तक उन्हें गच्चा दिया। अंततः लोगों ने स्वयं ही यह बीड़ा उठाया। पिछले साल फरवरी में शुरू हुआ काम आधे से अधिक पूरा हो चला है। यह लोगों के सहयोग, समर्पण और सामाजिक नवाचार की एक अनूठी मिसाल बन गया गया है। अपर्णा की रिपोर्ट।
उड़ान ट्रस्ट इंडिया और नट समुदाय संघर्ष समिति बेलवा वाराणसी समाज उत्थान सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में विमुक्त घुमंतु खानाबदोश समुदाय के लिए महिला मुक्ति दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोविन्द माथुर ने रविवार को कहा कि किसी राष्ट्र की प्रगति के लिए उसके संविधान का अत्यधिक महत्व होता है। व्यवस्थित संविधान देश की मजबूती और विकास का द्योतक है।
छिहत्तर वर्षों में पहली बार विमुक्त घुमंतू नट समुदाय ने बाबा साहब की जयंती मनाई। नट समुदाय दशकों से सामाजिक अन्याय, भेदभाव और हाशिये पर रहने की पीड़ा झेल रहा है। संविधान निर्माता बाबा साहब के आदर्शों से प्रेरित होकर इस समुदाय ने अपने अधिकारों के लिए एकजुट हो उन्हें याद किया।
गाजीपुर जिले के कासिमबाद-नोनहरा इलाके में स्थित एक गाँव क़यामपुर छावनी के लोगों ने अपने गाँव से गुजरनेवाली मंगई नदी पर पुल का निर्माण शुरू कर दिया है। इसमें खास बात यह है कि लोगों ने जनसहयोग से इतना बड़ा कम शुरू किया है और काफी हद तक काम पूरा कर दिया है। आसपास के गांवों के लोगों के अलावा जिले के अन्य इलाकों से भी उन्हें सहयोग मिल रहा है। हालांकि वे लंबे समय तक पुल की मांग करते रहे लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहे। जनप्रतिनिधियों ने दशकों तक उन्हें गच्चा दिया। अंततः लोगों ने स्वयं ही यह बीड़ा उठाया। पिछले साल फरवरी में शुरू हुआ काम आधे से अधिक पूरा हो चला है। यह लोगों के सहयोग, समर्पण और सामाजिक नवाचार की एक अनूठी मिसाल बन गया गया है। अपर्णा की रिपोर्ट।
उड़ान ट्रस्ट इंडिया और नट समुदाय संघर्ष समिति बेलवा वाराणसी समाज उत्थान सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में विमुक्त घुमंतु खानाबदोश समुदाय के लिए महिला मुक्ति दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
वयोवृद्ध बिरहा गायक बाला राजभर के एक साक्षात्कार से बौखलाए पूर्व एमएलसी और समाजवादी पार्टी के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष काशीनाथ यादव अपने चेले सुरेन्द्र यादव और उनके गुंडों के साथ बाला जी के गाँव गए और उन्हें जातिसूचक गालियाँ दी और धमकाया। बाला जी के पुत्र रमेश प्रसाद राजभर ने फोन से इसकी सूचना दी। वह डरे हुये हैं। काशीनाथ का गैंग कभी भी उन पर हमला कर सकता है। इस घटना से बिरहा जगत में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि काशीनाथ यादव के व्यवहार से हम सभी आहत हैं। अगर उन्होंने गलत किया है तो उन्हें अविलंब बालाजी से माफी मांगनी चाहिए। इस घटना से अखिलेश यादव द्वारा चलाये जा रहे पीडीए आंदोलन को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।