केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बालिका शिक्षा की मुहीम को राजस्थान के अलवर जिले के शादीपुर गाँव में झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है, जहाँ लड़कियों की पढाई के लिए 12वीं तक का स्कूल ही नहीं है।
कोटा को कोचिंग हब माना जाता है। पूरे देश से डॉक्टर और इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिए छात्र यहाँ आते हैं। पढ़ाई के दबाव के चलते लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहतीं हैं। इस वर्ष चार महीनों में 9 छात्रों ने आत्महत्या की।
पिछले दस वर्षों में शिक्षा का स्तर जितना गिरा है उतना पहले कभी नही। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी संस्थानों में विज्ञान और तर्क को दरकिनार कर धर्म को केंद्र में रखा गया। 2024 के लोकसभा चुनाव
में शिक्षा जैसा महत्त्वपूर्ण मुद्दा जनता की नजर में क्यों नहीं है?
छात्रवृत्ति निर्धन बच्चों के आगे की पढ़ाई के लिए बहुत बड़ा आधार होती है। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा में सफलता पाकर बहुत से बच्चों ने अपनी मंज़िलें पाई है। विगत वर्षों की तरह इस बार भी भदोही जिले के 183 बच्चों ने सफलता पाई है। हालांकि अनुसूचित जनजाति के कोटे की चार सीटें खाली ही रह गईं।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी प्रथम वर्ष के चार छात्र अपनी परीक्षा की कॉपियों में केवल ‘जय श्री राम’ लिखकर पास हो जाते है। यह हमारी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी दावे की असलियत की पोल खोलती एक छोटी सी नजीर भर है।
केंद्र सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बालिका शिक्षा की मुहीम को राजस्थान के अलवर जिले के शादीपुर गाँव में झटका लगता हुआ दिखाई दे रहा है, जहाँ लड़कियों की पढाई के लिए 12वीं तक का स्कूल ही नहीं है।
कोटा को कोचिंग हब माना जाता है। पूरे देश से डॉक्टर और इंजीनियरिंग में प्रवेश लेने के लिए छात्र यहाँ आते हैं। पढ़ाई के दबाव के चलते लगातार आत्महत्या की खबरें आती रहतीं हैं। इस वर्ष चार महीनों में 9 छात्रों ने आत्महत्या की।
पिछले दस वर्षों में शिक्षा का स्तर जितना गिरा है उतना पहले कभी नही। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी संस्थानों में विज्ञान और तर्क को दरकिनार कर धर्म को केंद्र में रखा गया। 2024 के लोकसभा चुनाव
में शिक्षा जैसा महत्त्वपूर्ण मुद्दा जनता की नजर में क्यों नहीं है?
छात्रवृत्ति निर्धन बच्चों के आगे की पढ़ाई के लिए बहुत बड़ा आधार होती है। राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा में सफलता पाकर बहुत से बच्चों ने अपनी मंज़िलें पाई है। विगत वर्षों की तरह इस बार भी भदोही जिले के 183 बच्चों ने सफलता पाई है। हालांकि अनुसूचित जनजाति के कोटे की चार सीटें खाली ही रह गईं।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के फार्मेसी प्रथम वर्ष के चार छात्र अपनी परीक्षा की कॉपियों में केवल ‘जय श्री राम’ लिखकर पास हो जाते है। यह हमारी शिक्षा व्यवस्था और सरकारी दावे की असलियत की पोल खोलती एक छोटी सी नजीर भर है।
राष्ट्रीय आय एवं पात्रता परीक्षा 2024 में गोरखपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय विश्वनाथपुर में पढ़ने वाले गरीब घर के बच्चों का जलवा कायम। अभावों में जीवन यापन करने वाले इन बच्चों ने दिखा दिया कि प्रतिभा किसी की बपौती नहीं, जरूरत है तो बस सतत प्रयास और लक्ष्य के प्रति समर्पण की।