मिनल शेंडे
मिनल शेंडे एक नारीवादी और प्रगतिशील कार्यकर्ता, कवि और लेखिका हैं। आंबेडकरवादी और बौद्ध आंदोलनों के साथ जाति, लिंग और न्याय के मुद्दों पर उनकी गहरी रुचि है। बौद्ध अध्ययन की एक छात्रा और शोधकर्ता के रूप में सक्रिय मिनल भंडारा में रहती हैं।
सामाजिक न्याय
घरेलू हिंसा की पीड़िता की मदद करने वाली पुणे की दलित महिलाओं को धंधेवाली कहकर थाने में किया गया प्रताड़ित
पुणे में घरेलू हिंसा की शिकार एक युवती ने अपने बचाव के लिए एक सामाजिक संस्था से संपर्क किया जिसकी कार्यकर्ता ने अपनी एक वकील मित्र से उस युवती को कोथरूड में रहनेवाली कुछ कामकाजी महिलाओं के साथ साथ रहने का बंदोबस्त कर दिया। एक पुलिसकर्मी के परिवार की बहू उस युवती के ससुर ने पता लगाकर उन महिलाओं को न केवल जातिसूचक गालियाँ दी बल्कि उनके साथ मारपीट की और अपनी पहुँच की बल पर उन्हें थाने ले गया, जहाँ उन्हें अश्लील गालियाँ देते हुए देह व्यापार करनेवाली कहा गया। गौरतलब है कि पीड़ित महिलाएं दलित समुदाय से आती हैं। थाणे में उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई बल्कि उन्हें प्रताड़ित किया गया। इस मामले ने दलित महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। भंडारा की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक अध्येता मिनल शेंडे की टिप्पणी।