शिरीन अख़्तर
लेखिका दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में अर्थशास्त्र विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
राष्ट्रीय
अमेरिका में अप्रवासी मज़दूरों के अवैध शोषण और निर्वासन का पुराना इतिहास है
अमेरिका ने भारतीय अप्रवसियों को जिस तरह वापस भेजा, वह व्यवहार अमानवीय होने के साथ अनैतिक भी है। इस तरह निर्वासन का शस्त्रीकरण केवल अमेरिका का मुद्दा नहीं है, यह असमानता की वैश्विक प्रणाली का हिस्सा है। वही नवउदारवादी नीतियां, जो लोगों को काम की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर करती हैं, वही नीतियां हैं, जो उनके आने के बाद उन्हें अपराधी बनाती हैं। वर्तमान अमेरिकी निर्वासन नीति नस्लीय पूंजीवाद की क्रूर अभिव्यक्ति है, जहां जरूरत पड़ने पर प्रवासियों का शोषण किया जाता है और सुविधानुसार उन्हें त्याग दिया जाता है। ये नीतियां कानून लागू करने के बारे में नहीं हैं; ये नियंत्रण, लाभ और राजनीतिक शक्ति के बारे में हैं।