भोपाल गैस त्रासदी में मौत के खौफनाक मंजर के बाद आज भी उस त्रासदी से गुजरे हुए लोग जब अपने अनुभव साझा करते हैं, तो उनके चेहरे पर वही डर और दुःख के साथ आवाज़ में वही दर्द मिलता है, जिस मंज़र से आज से 40 वर्ष पहले गुजरे थे। तब से लेकर आज तक वह कारखाना बंद है, लेकिन हर रोज ज़िंदा बचे लोग उस रात हुए हादसे को याद कर तकलीफ से भर जाते हैं। सवाल यह उठता है कि कारखाना बंद हो चुका है लेकिन त्रासदी से पीड़ित लोग आज भी न्याय की उम्मीद में कब तक भटकते रहेंगे?
भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 2 दिसंबर 1984 को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण लगभग दस हजार लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे को आज 40 वर्ष हो जाने के बाद भी बचे हुए लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर देखा जा रहा है। हादसे के बाद भोपाल की जो स्थिति थी, उसे संभालने के लिए अनेक संस्थाओं और व्यक्तियों ने लगातार गैस पीड़ितों के लिए काम किया।