Sunday, September 8, 2024
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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बारह वर्षों में कहाँ तक पहुँचा है तमनार का कोयला सत्याग्रह

बात 5 जनवरी 2008 की है, जब गारे 4/6 कोयला खदान की जनसुनवाई गारे और खम्हरिया गाँव के पास के जंगल में की गई। वास्तव में ढाई सौ एकड़ में फैला हुआ यह जंगल गाँव वालों के निस्तारण की जमीन थी, जिसे बहुत चालाकी से वन विभाग ने सन 1982 में रेशम परियोजना के लिए हासिल कर लिया था। गाँव वालों को इस बात के लिए सहमत किया कि रेशम परियोजना में उन लोगों को काम मिलेगा और आर्थिक आधार पर उन्हें मजबूती मिलेगी। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि रेशम विभाग और वन विभाग की मिलीभगत से यह जमीन मुफ़्त में ही जिंदल उद्योग को कोयला खनन के लिए दे दी गई।

जनता की लड़ाई के सिवा मेरे पास कुछ भी नहीं है – सविता रथ

सविता रथ का परिवार काफी पढ़ा-लिखा और नौकरीपेशा रहा है लेकिन सविता सरकारी नौकरी छोड रायगढ़ जिले के आदिवासीबहुल इलाके में पूँजीपतियों के खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ रही हैं।

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