भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 2 दिसंबर 1984 को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण लगभग दस हजार लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे को आज 40 वर्ष हो जाने के बाद भी बचे हुए लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर देखा जा रहा है। हादसे के बाद भोपाल की जो स्थिति थी, उसे संभालने के लिए अनेक संस्थाओं और व्यक्तियों ने लगातार गैस पीड़ितों के लिए काम किया।