न्यायमूर्ति राम प्रसाद यादव का देहावसान तमाम वंचित लोगों की उम्मीद का अवसान है। उनके चले जाने से तमाम आँखों की उम्मीद का रंग धूमिल हो गया है। न्यायमूर्ति राम प्रसाद सिर्फ व्यक्ति नहीं, बहुत से लोगों का विश्वास भी थे, जिस विश्वास के सहारे एक सम्मानजनक भविष्य की बुनियाद रखी जा सकती थी। अब यह उम्मीद तिरोहित हो चुकी है। शेष सिर्फ स्मृतियाँ हैं। यह स्मृतियाँ लंबे काल खंड तक उनके शैक्षिक उत्थान के प्रयास और सार्थक सामाजिक सरोकारों की कीर्तिध्वजा फहराती रहेंगी।