अतीत में बंगाल एक मजबूत सामाजिक चेतना के लिए जाना जाता था, जहां आम लोग सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए हस्तक्षेप करते थे। हालांकि आज भी यह चेतना बनी हुई है, लेकिन लोग ऐसे गुंडों को मिलने वाले राजनीतिक संरक्षण के कारण हस्तक्षेप करने से डरने लगे हैं। आज बंगाल में ऐसे आवश्यक सामाजिक हस्तक्षेपों को समर्थन मिलने के बजाय उनके खिलाफ हिंसा होने की आशंका अधिक होती है।
कोलकाता की डॉक्टर की नृशंस तरीके से कार्यस्थल पर हत्या की गई और इसके साथ दूसरी जगहों से भी लगातार बलात्कार की खबरें आ रही हैं। आज पूरा देश डॉक्टर के न्याय के लिए उतरा है। इस तरह की घटनाओं का देशव्यापी विरोध होना इसलिए जरूरी है क्योंकि सरकार बलात्कारियों को बचाने का काम कर रही है। वैसे भी अनगिनत केस दर्ज नहीं किए जाते लेकिन जो केस दर्ज होते हैं, उन्हें भी राजनैतिक दबाव व संरक्षण के चलते सजा नहीं मिलती बल्कि स्वागत किया जाता है। उनका इस तरह खुला घूमना सरकार के साथ न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है