Monday, October 20, 2025
Monday, October 20, 2025




Basic Horizontal Scrolling



पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

ईश कुमार गंगानिया

अपना कोई गाँव नहीं था लेकिन पूरा बचपन गाँवों में ही बीता

दलित समाज से जुड़े़ लेखक अपनी आत्मकथाएं लिख रहे हैं। इन आत्मकथाओं में दलित जीवन व दलित समाज से जुड़े़ जातीय भेदभाव को मूल रूप से उजागर किया है। जहां तक लेखिकाओं की आत्‍मकथाओं का सवाल है तो वहां भी जाति के साथ-साथ लिंग भेद अपने मुखर रूप में मौजूद रहता है। कवि-आलोचक ईश कुमार गंगानिया ने हरियाणा के विभिन्न गाँवों में बीते अपने बचपन की सहज कहानी कही है।
Bollywood Lifestyle and Entertainment