Wednesday, June 25, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

विभांशु केशव

स्वच्छकार समाज के पुनर्वास और उत्थान के नायक हैं धीरज वाल्मीकि

मैला ढोने की कुप्रथा पर रोक लगाने के क्रम में धीरज वाल्मीकि का ललौली गांव जाना हुआ। वहां धीरज और उनके साथियों ने मैला ढोने वाली महिलाओं की दिनचर्या की वीडियो फिल्म बनाई। उस वीडियो फिल्म को जिला प्रशासन और विद्याभूषण रावत को दे दिया गया। उस वीडियो में एक 14 साल की लड़की भी मानव मल ढोने का काम कर रही थी। इसी के आधार पर धीरज और उनके साथियों ने जिला प्रशासन पर दबाव बनाया। दिल्ली में विद्याभूषण रावत ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति आयोग, बाल आयोग सभी को कटघरे में खड़ा किया।

सर्व सेवा संघ : आया है बाबू लोगों बाजार का जमाना

प्रशासन चाहे बुलडोजर लेकर आए, चाहे बंदूक, हम नहीं डरेंगे के तेवर के साथ सरकार और बाजार के दुश्चक्र से गांधी के विचार और अपनी धरोहर बचाने का संघर्ष ।

प्रधानमंत्री को सम्बोधित पत्रक गंगा में किया प्रवाहित, गांधी की विरासत बचाने के लिए संघर्ष को तैयार हैं गांधी के लोग

जब गांधी की विचारधारा खत्म होगी, तभी गोडसे की विचारधारा स्थापित होगी। सर्व सेवा संघ सिर्फ एक जमीन नहीं है। यह विचारों का प्रतीक है। अगर आज वे इस जमीन पर कब्जा कर लेंगे, तो भविष्य में वे किसी भी संस्थान पर कब्जा कर लेंगे। उन्होंने देखा कि यह हांडी में चावल का एक दाना है, जिसे वे दबाना चाहते हैं।

संकट में सर्व सेवा संघ, क्या गांधी के लोग बचा पायेंगे गांधी की जमीन

एक सिपाही के पास ऐसे राष्ट्रीय स्तर के प्रकरण पर बोलने की इजाजत नहीं होती है। पुलिस व्यवस्था में सिपाही के पदक्रम को देखते हुये कहा जाय तो उसकी हैसियत नहीं होती है। जिस प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से जिला प्रशासन के आलाधिकारी सरकारी मंशा को अमलीजामा पहनाने में लगे हुये हों, वहां एक सिपाही ‘वर्कआउट’ का प्रसाद नहीं ले सकता। यह हो सकता है कि सिपाही द्वारा कही गई बातें सर्व सेवा संघ से जुड़े लोगों के लिए एक इशारा हो कि सर्व सेवा संघ सहित पूरे परिसर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन का इरादा क्या है?

बेराह बनारस में बवाल उर्फ मोदी सरकार के नौ साल

समर्थकों के विशेष वर्ग को उन आलोचनाओं को सुन अपना पारा नहीं चढ़ाना चाहिए, जिन आलोचनाओं में भारत सरकार, केंद्र सरकार या एनडीए सरकार का संबोधन प्रयोग किया जाता है। ये तीनों अब कहीं हैं ही नहीं। यहां तक कि अब तो विदेश भी मोदी सरकार ही जाती है, भारत सरकार नहीं। जब भारत सरकार की जगह एक व्यक्ति विदेशी दौरों पर जाएगा, तो वो देश के कार्य से अधिक तवज्जो व्यक्तिगत कार्य को देगा।
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