Sunday, September 8, 2024
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बिश्वनाथ की कविताओं में बनारस

इस शहर में धूल धीरे-धीरे उड़ती है धीरे-धीरे चलते हैं लोग धीरे-धीरे बजते हैं घंटे शाम धीरे-धीरे होती है। ...कभी आरती के आलोक में इसे अचानक देखो अद्भुत है इसकी बनावट यह...

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