Saturday, July 27, 2024

गाँव के लोग

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राजस्थान : रोजगार के अभाव में भटक रहे हैं ग्रामीण, नहीं मिल रहा मनरेगा में काम

गांव में मनरेगा के अतिरिक्त रोजगार का कोई अन्य विकल्प नहीं है, इसलिए जब लोगों को मनरेगा के अंतर्गत काम नहीं मिलता है तो वह या तो मजदूरी करने शहर जाते हैं अथवा गांव से पलायन कर महानगरों या औद्योगिक शहरों की ओर चले जाते हैं। वर्ष 2024-25 के बजट में मनरेगा समेत रोजगार के कई क्षेत्रों में बजट आवंटन को बढ़ाया गया है। देखना यह होगा कि आने वाल समय में मनरेगा मजदूरों को काम मिलने के बाद समय पर उचित भुगतान मिलेगा या नहीं?

Mirzapur : पत्थर खदान ने सिलकोसिस का मरीज बनाया इलाज टी.बी. का होता रहा

मिर्जापुर के राजगढ़ ब्लॉक के सरसों गांव में पत्थर की खदानों में काम करने से लगभग हर घर में एक टीबी का मरीज है।...

Bhadohi : बरसों के आंदोलन के बावजूद कोई सुनवाई नहीं, गाँव के डूब जाने का खतरा बढ़ा

भदोही जिले के भुर्रा गांव के लोग इस बात से चिंतित हैं कि गंगा नदी धीरे-धीरे जमीन का कटान कर रही है। पास का गांव हरिहरपुर डूब चुका है। उन्हें अपने गांव के अस्तित्व की भी चिंता है। शासन-प्रशासन ने वहां ठोकर बना दिया था, जिससे गांव वालों का कहना है कि कटान और भी तेजी से हो रहा है।

Bhadohi : सरकार की अलबेली चाल, न नहर में पानी, न सड़क की व्यवस्था

भदोही जिले के भुर्रा गांव के लोगों का कहना है कि आजादी के बाद से उनके गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है. नहर का निर्माण 20 साल पहले हुआ था और पानी केवल एक बार आया था। गांव का संपर्क मार्ग एक नहर से होकर गुजरता है जिसमें गड्ढे ही गड्ढे हैं और बरसात के दिनों में इससे गुजरना बहुत मुश्किल होता है।

आजमगढ़ : दो वर्षों से चल रहे किसान आंदोलन की आवाज़ संसद में पहुंचाएंगे सांसद दरोगा सरोज  

उत्तर प्रदेश का हाइपर विकास हो रहा है। इस विकास के लिए किसानों को उनकी ज़मीनों से विस्थापित किया जा रहा है। किसान जो देश की अर्थव्यस्ठा को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं को सड़क पर लाने का पूरा इंतजाम सरकार कर रही है। इस वजह से देश के अनेक हिस्सों में किसानों के छोटे-बड़े आंदोलन चल रहे हैं।

वाराणसी : बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापकों ने डिजिटल उपस्थिति के साथ अन्य मांगों के लिए किया विरोध प्रदर्शन

अध्यापकों की नियुक्ति पढ़ाने के लिए की जाती है लेकिन सरकार द्वारा सौंपे गए अनेक कामों के बाद बच्चों पर पर्याप्त ध्यान ही नहीं दे पाते। यह बात शिक्षक ने बताई। इधर सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग के अध्यापक पर डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने का नियम लागू किया गया है। लेकिन अध्यापक लगातार विरोध कर रहे हैं। अध्यापक इसके अलावा भी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंप चुके हैं। उनका कहना है जब तक सरकार हमसे बात नहीं करती यह विरोध-प्रदर्शन बंद नहीं होगा.

अरुणाचल में मेगा बांध परियोजनाओं में प्रस्तावित और तैयार बांध प्रकृति के लिए खतरा – सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया)

इधर लगातार बारिश से पहाड़ी इलाकों में तबाही की स्थिति बढ़ती ही जा रही है। इसके बावजूद अरुणाचल प्रदेश में 169 से ज़्यादा प्रस्तावित बांध हैं, जो प्रकृति का दोहन करेंगे और लोगों के लिए ख़तरा बनेंगे। सरकार को वहाँ के नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क होना जरूरी है।

Banaras : बांसफोर समाज की स्थिति में कब स्थायित्व आएगा!

विकसित भारत के तमाम दांवो की पोल तब खुलने लगते हैं जब हम हाशिये पर जीवन गुजारने वाले असंख्य समुदायों को देखते हैं जिनके...

उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग : डिजिटल हाजिरी के विरोध में काली पट्टी बांधकर शिक्षकों ने काम किया

डिजिटल उपस्थिति के पहले ही दिन आजमगढ़ के एक गाँव में भारी बारिश में स्कूल जाते हुए अध्यापिकाओं का रिक्शा पलट गया। डिजिटल उपस्थिति का फरमान जारी हो गया और 8 जुलाई से लागू कर दिया गया है। लेकिन अध्यापक इस बात से खासे परेशान है कि जिस गाँव में डिजिटल उपस्थिति की सुविधा नहीं है वहाँ क्या किया जाएगा?

Varanasi : वरुणा नदी में कई नालों का पानी गिरने से अब पानी खेती के लायक नहीं रहा

बनारस में वरुणा नदी के बहुत अधिक प्रदूषण के कारण किसान खेत की सिंचाई भी इस पानी नहीं कर पाते. यदि इसी तरह वरुणा प्रदूषित होती रही तो जल्द ही नाले में तब्दील हो जाएगी.

बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापकों की ऑनलाइन उपस्थिति क्यों अव्यावहारिक है?

विद्यालय का नया सत्र खुलते ही शासन ने बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों के लिए कुछ ऐसे नियम लागू कर दिये हैं, जिसके चलते उन्हें व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यदि शासन किसी नियम की नकल करती है तो उसे वहाँ की स्थिति से परिचित होना चाहिए ताकि समस्याओं से भी परिचित हो सके।

देवरिया : सरकार द्वारा तीन नए आपराधिक क़ानूनों को लेकर सामाजिक मंचों ने सौंपा ज्ञापन

देवरिया के नागरिक मंच ने भारत सरकार द्वारा 1 जुलाई से लागू तीन नए आपराधिक कानून को लेकर पुनर्विचार कर संशोधन की मांग के साथ यूएपीए को वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है की इस कानून से पुलिस वालों की अधिकार शक्ति बढ़ने से जनता के प्रति दुरुपयोग बढ़ेगा।

ओमप्रकाश वाल्मीकि का साहित्य भोगा हुआ यथार्थ है – प्रो. नामदेव

ओमप्रकाश वाल्मीकि दलित साहित्य के बड़े रचनाकार थे। उन्होंने जो जिया और भोगा वही लिखा। 30 जून को उनके जन्मदिन के अवसर पर पाँचवें ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन हुआ।

Mirzapur: राजगढ़ ब्लॉक के मुसहरों को हटाने की फिराक में है जंगल विभाग

मिर्जापुर के राजगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत दरवान के अंतर्गत वनवासी मुसहरों की बस्ती है। इन मुसहरों का एक आसरा था जंगल, जहां से वनोपज और लकड़ी इकट्ठा करने के बाद बेचकर जीवनयापन करते थे, आज वन विभाग इन्हें जंगल से भगाते हैं और वनोपज लेने पर रोकते हैं। दूसरे रोजगार के अभाव में इनका जीवन कठिन हो गया है। देखें ये ग्राउंड रिपोर्ट

Varanasi : देश में अमीर अरबपति हो रहा है लेकिन गरीब दो वक्त की रोटी के लिए मुहाल है

विकास के इस दौर में वाराणसी के कोटवां इलाके की महिलाएं आज भी 4 या 6 रुपए में मजदूरी करके अपना गुजारा करती हैं। देखिए ये ग्राउंड रिपोर्ट

Varanasi : कमरतोड़ महंगाई के दौर में बनारसी साड़ी के मजदूर तंगहाल में गुजार रहे हैं जीवन

उत्तर प्रदेश में वाराणसी की बनारसी साड़ियाँ विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन इन दिनों साड़ी बनाने वाले बुनकरों की हालत बेहद खराब हो गई है। बुनकरों ने अपनी स्थिति को लेकर क्या कहा? देखिये यह ग्राउंड रिपोर्ट

सात बहनों का एक राज्य मेघालय है झीलों और बादलों का घर

वैसे तो पूरी धरती प्राकृतिक सुंदरता से भरी हुई है लेकिन भारत में जब प्राकृतिक सुंदरता की बात आती है तो उत्तर-पूर्वी राज्यों की याद जेहन में जरूर आती है। चाहे अरुणाचल प्रदेश हो या मिज़ोरम या फिर मेघालय। यहाँ की सुंदरता  पहाड़, नदी, झील और जंगलों से है। बाकी जगहों से यहाँ पहुँचना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन जाने के बाद वापस आने का मन नहीं होता। विनय कुमार ने मेघालय यात्रा वृतांत भेजा है, पाठक पढ़ते हुए वहाँ पहुँचकर आनंद उठा सकते हैं। 

बेसिक शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश : निर्देशों के बोझ से दबे अध्यापक क्या पढ़ा पाएंगे?

विगत वर्षों में प्रदेश की बेसिक शिक्षा प्रणाली में कई ऐसे परिवर्तन हुये हैं जो उसको पतन के रास्ते पर ले जाने के जिम्मेदार हैं। एक दौर था जब बेसिक शिक्षकों ने विद्यार्थियों की मजबूत पीढ़ियों का निर्माण किया लेकिन कान्वेंट और कोचिंग से पढ़कर निकले अफसरों के दिमाग को पूंजी की तेज धार ने ध्वस्त कर दिया और उन्होंने भी बेसिक शिक्षा प्रणाली को अपने फायदे का माध्यम बना लिया। आज उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग ने अध्यापकों पर डिजिटलीकरण का इतना बोझ डाल दिया है कि वे केवल ऊपर से तय किए मानकों की पूर्ति करने में लग गए हैं। चाहे मिड डे मील हो या नामांकन का लक्ष्य हो अथवा डिजिटल हाजिरी। उन्हें हर हाल में विभाग को भरोसा दिलाना है कि वे अपनी जगह पर चाक-चौबन्द हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की पढ़ाई और बौद्धिक विकास लगातार दयनीय हालत में पहुँच गया है।

पूर्वांचल का स्वास्थ्य : पाँच करोड़ की आबादी का स्वास्थ्य रामभरोसे

सरकार जनता के स्वास्थ्य से खेल करने में तनिक भी पीछे नहीं रहती है। आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के मामले में अभी भी अन्य राज्यों की तुलना में पीछे है। उस पर पूर्वाञ्चल और भी पिछड़ा है, जहां एम्स के नाम पर गोरखपुर है और बनारस का सर सुंदरलाल हॉस्पिटल कहने को तो बहुत बड़ा हॉस्पिटल है लेकिन इसका स्टेटस एक रेफरल अस्पताल से अधिक नहीं। ऐसे में लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ रुख करना मजबूरी हो जाती है। उत्तर प्रदेश में 19962 मरीजों पर एक डॉक्टर है।

देवरिया : फासीवादी सरकार द्वारा लेखिका अरुंधति रॉय और प्रो. शेख शौकत पर यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने पर विरोध दर्ज

समाज के बुद्धिजीवी वर्ग से सरकार लगातार भयभीत होती दिखाई देती है। इस वजह से पिछले दस वर्षों से भाजपा ने लगातार लोगों के बोलने पर रोक लगाई। जिन लोगों ने उनके खिलाफ बोला या लिखा उन्हें या तो जेल में डाल दिया या उन पर सख्त कार्रवाई की गई।

वाराणसी : आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के दो दिवसीय शिक्षण सामग्री विकास कार्यशाला का समापन

वाराणसी के इग्नस पहल द्वारा बड़ागांव व पिंडरा ब्लॉक में आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

मिर्ज़ापुरी कजरी और लोककवि बफ्फत शेख एक दूसरे के पर्याय हैं

मिर्जापुरी कजरी को आज जो भी मुकाम हासिल है उसमें बप्फ़त का केंद्रीय योगदान है। कहा जा सकता है कि वह मिर्जापुरी कजरी के पितामह थे। वह वैसे ही थे जैसे आगरे में नज़ीर अकबराबादी थे।

उदयपुर : प्रोफेसर हिमांशु पंड्या पर संघी गुंडों के हमले की देशभर में निंदा

लोकतान्त्रिक देशों में अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगे या बोलने वाले पर हमला किया जाए, तब इसे फासीवाद की संज्ञा दी जाती है। अभी 4 जून को इस विशाल लोकतान्त्रिक देश में नए चुनाव हुए। मतदातओं के हिंदुत्ववादी राजनीति के व्यापक निषेध के बावजूद फासीवाद दौर खत्म नहीं हुआ बल्कि अब अधिक बर्बर रूप में सामने आने की आशंका है।

वाराणसी : चार दिवसीय ग्रीष्मकालीन शिविर में बच्चों ने खूब किया एंजॉय

दस माह के स्कूल के बाद जब दो महीने की ग्रीष्मकालीन छुट्टियाँ मिलती हैं तो बच्चे और उनके साथ माता-पिता भी थोड़ी राहत महसूस करते हैं। इन्हीं दो महीने की छुट्टियों में बच्चे को यदि कोई मजेदार शिविर में शामिल होने का मौका मिल जाये तो उसे आनंद आ जाता है।

खेलों में खिलाड़ी कभी हारता नहीं बल्कि खेलने का हौसला मिलता है – सुजीत यादव

जय बजरंग क्रिकेट स्पोर्टिंग क्लब, अतरसुआ (चीनी मिल ग्राउण्ड) नन्दगंज के तत्वावधान में क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ। नौ दिन चले इस टूर्नामेंट में खिलाड़ियों ने खेल भावना को मजबूत करने के लिए उत्साह से हिस्सा लिया।

मोदी सरकार ने जीएसटी को पीएमएलए कानून से जोड़कर व्यापारियों के गले में डाला फांसी का फंदा : शैलेन्द्र अग्रहरि

मोदी सरकार ने जीएसटी को पीएमएलए कानून से जोड़कर व्यापारियों के लिए एक मुसीबत खड़ा कर दिया है। इस कानून के कारण व्यापारियों द्वारा की गयी छोटी सी भूल उन्हें जेल तक भेज सकती है। इसे लेकर व्यापारियों में भारी रोष है और उन्होंने सरकार को चुनाव में सबक सिखाने का फैसला कर लिया है।

दलित उत्पीड़न : मध्य प्रदेश में दलित युवती की मौत, परिजनों ने लगाया रंजिशन हत्या का आरोप

पिछले साल अपने भाई की हत्या का दावा करते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराने वाली दलित समुदाय की अंजना अहिरवार की रविवार को सागर में अपने चाचा के शव को ले जाते समय एम्बुलेंस से गिरने के बाद मृत्यु हो गई। उसकी मौत ने राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज कर दी है। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दावा किया कि अंजना के भाई की अगस्त में बरोदिया नोनागिर में सरेआम हत्या कर दी गई थी और उनका परिवार अब भी न्याय का इंतजार कर रहा है।

पर्यावरण : आग की भट्ठी बना देश का अधिकांश हिस्सा, 37 शहरों में तापमान 45 से ज्यादा

देश के बड़े हिस्से में रविवार को भीषण गर्मी का कहर देखने को मिला और 37 शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। भीषण गर्मी के चलते ही महाराष्ट्र के अकोला में प्रशासन ने सार्वजनिक समारोहों पर लगाई रोक लगा दी है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाले दो-तीन दिनों में राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

वाराणसी : डॉ ओमशंकर के आमरण अनशन के कारण विभागाध्यक्ष पद से हटाया गया

सर सुंदरलाल अस्पताल के हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष को प्रशासन ने उनके पद से हटा दिया। जबकि उनके कार्यकाल का 2 माह शेष रह गया था। डॉ ओमशंकर अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ के के गुप्ता द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के कारण उन्हें पद से हटाने और हृदय रोग विभाग में बिस्तरों के संख्या (जो उपलब्ध है) मरीजों के लिए खोलने के लिए आमरण अनशन कर रहे हैं।

बीएचयू के डॉ ओम शंकर के आमरण अनशन के समर्थन में सामाजिक संगठनों ने निकाला जुलूस मार्च

बीएचयू में विगत दो सप्ताह से अस्पताल में व्याप्त विभिन्न अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को समाप्त करने की मांग को लेकर ह्रदय रोग विभाग के प्रो. ओमशंकर अपने कक्ष में ही आमरण अनशन पर हैं। लेकिन अभी तक न तो बीएचयू प्रशासन और न ही शासन की ओर से इस पर कोई कार्रर्वाई होती दिख रही है।

शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह मुफ्त और जनसुलभ बनाने के लिए भाजपा को हराना होगा

भाजपा सरकार की नीतियाँ हमेशा से जन विरोधी रही हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा उन्हीं में से एक है। यह पूरी तरह मजदूर, किसान एवं आम जनता के बच्चों के लिए शिक्षा से बेदखली का दस्तावेज है।

दलित उत्पीड़न : मध्य प्रदेश में दलित दंपत्ति से मारपीट कर जूतों की माला पहनाई

मध्य प्रदेश में दलित उत्पीड़न का मामला थम नहीं रहा है। राज्य के अशोकनगर जिले में एक बुजुर्ग दलित दंपत्ति के साथ कथित तौर पर मारपीट करने और उन्हें जूतों की माला पहनाने की घटना सामने आई है।

उच्चतम न्यायालय ने मतदान आंकड़े 48 घंटे के भीतर जारी करने की याचिका पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा

उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा, जिसमें लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण का मतदान संपन्न होने के 48 घंटे के अंदर मतदान केंद्रवार मत प्रतिशत के आंकड़े आयोग की वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

विद्रोही का आक्रोश छाती पीटने वाला आक्रोश नहीं है

वह मोहनजोदड़ो की आखिरी सीढ़ी से शीर्षक कविता के माध्यम से स्त्री-अस्मिता के सवालों से साहस के साथ टकराते हैं। वह दिखलाते हैं कि जिन साम्राज्यवादी सभ्यताओं पर हम गर्व करते हैं वह स्त्रियों और आम इंसानों की लाशों पर खड़ी हुई हैं। वह एक तरह से दुनिया की सारी सभ्यताओं को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल उठाते हैं कि आखिर क्या बात है कि हर सभ्यता के मुहाने पर औरत की जली हुई लाश और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियाँ मिलती हैं। यह अमानवीयता केवल मोहनजोदड़ों तक सीमित नहीं है; यह बेबीलोनिया से लेकर मेसोपोटामिया तक, सीथिया की चट्टानों से लेकर सवाना के जंगलों तक फैली हुई है।

श्रद्धांजलि : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा में याद किए गए प्रो. चौथीराम यादव

हिन्दी आलोचना को एक नयी धारा 'अम्बेडकरवादी-मार्क्सवादी' प्रो चौथीराम यादव की ही बदौलत मिली। वे आलोचना को नए ढंग से प्रस्तुत करते थे। वे आलोचना को सिर्फ साहित्य से ही नहीं, बल्कि समाज से जोड़कर देखते थे। काशी हमेशा कबीर के बाद प्रो चौथीराम यादव को याद करेगी।