हर परिवार की धुरी एक स्त्री होती है, उसके ही इर्द-गिर्द पति, बच्चे और परिवार के सभी सदस्यों का जीवन गुजरता है लेकिन किसी स्त्री की गंभीर बीमारी हो जाने से पूरा परिवार अस्त-व्यस्त हो जाता है। ऐसा ही एक गरीब मजदूर गुलाम मुहम्मद का अपने जीवनसाथी परवीन की मानसिक स्थिति कमजोर होने के बाद उसकी और बच्चों की जिस तरह देखभाल किया वह अद्भुत है।