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Agrarian Crisis
क्लाइमेट चेंज : मौसम की मार से विदर्भ में गहराया कृषि संकट, रोते हुए किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं
'अन्नदाता सुखी भव:' एक किताबी उक्ति बनकर रह गई है, हकीकत निराशाजनक है। देश का अन्नदाता दुःखी है। अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर है। किसानों की दशा सुधारने के लिए किए गए वायदे खोखले ही साबित हुए हैं।

