हम यहां 'पहले आने वाले' थे', कई 'राष्ट्रवादी' 'जातीय' प्रवृत्तियों ने इसका इस्तेमाल विभिन्न देशों में समाज पर हावी होने के लिए किया। इसी तरह श्रीलंका में तमिल (हिंदुओं) पर सिंहल हमले में सिंहल जातीय राष्ट्रवाद के हाथों बहुत नुकसान उठाना पड़ा था, जिनका दावा था कि सिंहल उस द्वीप पर पहले आने वाले हैं इसलिए राष्ट्र उनका है! यहां भारत में हिंदू राष्ट्रवाद अलग नहीं है। इसने ‘विदेशी धर्मों’ इस्लाम और ईसाई धर्म का हौवा खड़ा किया। इसने हिंदुओं को आर्यों का पर्याय माना और दावा किया कि आर्य इस भूमि के मूल निवासी हैं। इस तरह औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा अपनी नस्लीय श्रेष्ठता दिखाने का प्रयास था, जिससे उन्हें शासन करने का अधिकार मिल गया। इसी तरह ब्राह्मणवादी विचारधारा ने भी ब्राह्मणों और उच्च जातियों को एक श्रेष्ठ नस्ल के वंशज होने का दावा किया, इसलिए उन्हें समाज में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त करने का अधिकार था।